देश के दूसरे सबसे लंबे चले चुनाव के परिणाम जारी हो गए है। उत्तरप्रदेश जिसके चलते सत्ता का मालिक तय होता है।इस उक्ति को इस बार राज्य की जनता ने फिर सही ठहराया। पिछले दो लोकसभा में बेहद मजबूत रहने वाली भाजपा अब आधी सीटों में सिमट गई है। एनडीए गठबंधन ने कुल 36 सीटें जीती। जिसमें भाजपा 33 ,अपना दल 01 और रालोद 02 सीटें जीत पाई। जबकि कांग्रेस और सपा ने मिलकर 43 सीटें जीत मजबूत हाथों से तेज साइकिल चलाई और उत्तरप्रदेश की चुनावी रेस जीत ली। उत्तरप्रदेश के वोटिंग प्रतिशत में भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले प्रतिशत 8% का नुकसान हुआ है,अब वह 41% के आसपास रह गई।साथ ही सपा ने 13% की बढ़ोत्तरी के साथ 31% के पास पहुंच गई है।
सुल्तानपुर में इस बार माहौल बदला।2014 में वरुण गांधी और 2019 में मेनका गांधी इस सीट से सांसद रही। भाजपा ने इस बार भी आजमगढ़ से मेनका गांधी पर भरोसा दिखाया था लेकिन इस बार सपा के रामभुआल निषाद उन्हें 43174 वोटों से हराकर लाल टोपी का संसद का टिकट कटवा लिया।
प्रतापगढ़ में सपा ने चुनावी घमासान अपने नाम किया। शिवपाल सिंह पटेल ने भाजपा के मौजूदा सांसद संगम लाल गुप्ता को 66206 वोट से हराकर सपा की संसद में एक सीट पक्की करवाई है।
फूलपुर सीट केशवप्रसाद मौर्य ने 2014 में जीती थी जिसके बाद हुए उपचुनाव में सपा ने यह सीट हासिल कर ली । लेकिन 2019 में यह सीट फिर भाजपा के केसरी देवी पटेल ने वापस भाजपा के पास ले गए ।और इस बार फिर कांटे की टक्कर में प्रवीण पटेल ने भाजपा के लिए 4332 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल यह सीट बचा ली है।
इलाहाबाद सीट में रीता बहुगुणा का सीट काटना भाजपा को रास नहीं आया होगा। 10 साल बाद भाजपा ने यह सीट गवां दी है।कांग्रेस के उज्जवल रमण सिंह ने मौजूदा सांसद नीरज त्रिपाठी को 58975 वोटो से हराकर कांग्रेस को उत्तरप्रदेश में फिर से खड़ा करने में मदद की है।
श्रावस्ती में बसपा की सीट से सांसद रहें, राम शिरोमणि वर्मा ने इस बार सपा की सीट से फिर संसद जाने तैयार है। उन्होंने भाजपा के साकेत मिश्रा को 76673 मतों से हराकर जीत हासिल की है।
अंबेडकरनगर लालजी वर्मा ने 1 लाख से अधिक वोटों से मौजूदा सांसद रितेश पांडे जो बसपा के सांसद है लेकिन इस बार भाजपा की ओर से मैदान में थे, को हराया।
डोमरियागंज में जगदंबिका पाल 2009 से लगातार इस सीट से सांसद बने हुए है। इस बार भी वे समाजवादी पार्टी के भीष्म शंकर को 42728 वोटों से हराकर लगातार चौथी बार सांसद बने।हालांकि पाल 2009 में कांग्रेस की सीट से सांसद थे। 2014 के बाद से वे भाजपा की टिकट पर सांसद चुने जा रहे है।
बस्ती से लगातार दो बार सांसद रहे हरीश द्विवेदी इस बार जन मत से दूर रहे। बस्ती की जनता ने राम प्रसाद चौधरी को इस बार अपना सांसद बना कर संसद भेजने का मन बनाया। हरीश द्विवेदी को 1 लाख मत से हार का सामना करना पड़ा।
2014 से भाजपा संत कबीरनगर की सीट में विजयी रही। लेकिन इस बार सपा के लक्ष्मीकांत निषाद ने 92170 वोटो के अंतर से जीत हासिल कर विजय रथ रोक दिया है। भाजपा के मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद अब पूर्व सांसद कहलाएंगे।
लालगंज में समाजवादी दरोगा प्रसाद सरोज 1.15 लाख वोट से जीतकर बसपा से यह सीट छीन ली है। इस बार इस सीट पर भाजपा की नीलम सोनकर दूसरे स्थान पर रही। बसपा की इंदु चौधरी भी दोनों प्रत्याशी को टक्कर देती हुई 2 लाख से ज्यादा वोट हासिल की है।
मुलायम और अखिलेश यादव की सीट आजमगढ़, जो समाजवादी का गढ़ रहा है को धर्मेंद्र यादव ने दिनेश यादव निरहुआ से हराकर वापस जीत लिया है। सपा प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को 1.61 लाख से हटाकर गढ़ हासिल किया।
जौनपुर में सपा के बाबू सिंह कुशवाहा ने भाजपा के कृपाशंकर सिंह को लगभग 1 लाख मतों से हराकर बसपा से सीट छीन ली है।2014 से यह सीट भाजपा के पास थी।
मछली शहर में राम चरित निषाद और बीपी सरोज जैसे सांसदों ने 2014 और 2019 में सीट भाजपा के पास रखी थी। लेकिन इस बार प्रिया सरोज ने समाजवादी पार्टी की ओर से लड़ते हुई भाजपा के भोलानाथ को 35850 मतों से हराकर संसद जाती नजर आएंगी।
भदोही सीट 2014 से भाजपा के पास रही यह सीट इस बार भी भाजपा के पास ही रहेगी। इस बार विनोद कुमार बिंद ने टीएमसी के ललितेशपति त्रिपाठी को 45 हजार मतों से हराकर अपने किले को बचाए रखा है।
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